किसानों ने गोहाल की पूजा-अर्चना की
बांदना पर्व को लेकर शनिवार को किसानों ने गाय-बैल को बांधकर रखे जाने वाले स्थान गोहाल की पूजा-अर्चना किए. गोहाल पूजा के साथ ही बैलों के सिंग पर तेल लगाया गया. बैलों को आकर्षक रूप से विभिन्न रंगों से सजाया गया. वहीं घर के दरवाजों पर और बैलों के माथेपर धान की बाली बांधा गया. महिलाएं दीप जलाकर बैलों की पूजा की. बांदना के दिन है बैलों को चुमाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस अवसर पर घर के आंगन को चावल के आटे का घोल बनाकर आकर्षक रूप से सजाया गया.आदिकाल से चला आ रहा है यह विशेष पर्व
सोहराय के लिए शनिवार को गोट बोंगा यानी पूजा की गई. सोहराय के लिए कई गांवों में पारंपरिक विधि से गोट बोंगा यानी गोट पूजा की गई. मौके पर मनुष्य और मवेशियों की कुशलता और सुख-समृद्धि के लिए इष्टदेव को मुर्गे की बलि भी चढ़ाई गई. गोट पूजा के बाद जिसकी गाय या बैल पूजा किए गए अंडे को फोड़ता है, उसका विशेष सम्मान किया जाता है. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के संताल समाज के लोग सोहराय परब धूमधाम के साथ मनाते है. झारखंडी आदिवासी समाज का यह विशेष पर्व आदिकाल से चला आ रहा है. इसे भी पढ़ें : चुनाव">https://lagatar.in/officials-should-ensure-finalization/">चुनावकी तैयारियों को अंतिम रूप देना सुनिश्चित करें पदाधिकारीः CEO [wpse_comments_template]